प्रस्तावना / Introduction
भारत की सरज़मीन तहवारों की धरती है। हर तहवार अपनी अलग रौशनी, अलग पैग़ाम और अलग अहमियत लेकर आता है। इनमें से एक सबसे अहम और अज़ीम तहवार है दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है। ये पर्व अच्छाई की बुराई पर फ़तह, सच की झूठ पर जीत और विनम्रता की अहंकार पर जीत का प्रतीक है।
National Genius Institute of Technology, Prayagraj में ये पर्व बड़े ही उत्साह, उल्लास और शैक्षिक मूल्यों के साथ मनाया गया। हमारे विद्यार्थियों के लिए ये सिर्फ़ एक सांस्कृतिक प्रोग्राम नहीं था, बल्कि ज़िंदगी के गहरे सबक़ सीखने का मौक़ा भी बना।
क्यों मनाते हैं दशहरा
🌸 रामायण की कथा – दशहरे का सबसे मशहूर वाक़िआ है भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध। रावण सिर्फ़ एक राक्षस राजा नहीं था, बल्कि अहंकार, लालच और नाइंसाफ़ी का प्रतीक था। श्रीराम ने धर्म और सच के रास्ते पर चलते हुए उसे हराया और दुनिया को ये संदेश दिया कि असत्य कितना भी ताक़तवर क्यों न हो, आख़िरकार जीत सच की ही होती है।
🌸 माँ दुर्गा का महिषासुर मर्दन – नवरात्रि के नौ दिनों के बाद माँ दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया। ये नारी शक्ति, हिम्मत और धर्म की हिफ़ाज़त का प्रतीक है।
🌸 असली मायने – दशहरा सिर्फ़ एक तारीखी वाक़िआ नहीं, बल्कि ज़िंदगी के हर पल में बुराई, घमंड, झूठ, सुस्ती और डर को शिकस्त देने का पैग़ाम देता है।
विद्यार्थियों के लिए सबक़
✨ सच की जीत पक्की है – झूठ कभी स्थाई नहीं हो सकता। चाहे मुश्किलें कितनी भी हों, आख़िर में जीत सच और ईमानदारी की ही होती है।
✨ अहंकार बर्बादी की वजह है – रावण के दस सर उसके इल्म और ताक़त के बावजूद उसे विनम्र नहीं बना पाए। बच्चों को सीखना चाहिए कि घमंड से सिर्फ़ पतन होता है।
✨ हिम्मत और सब्र की अहमियत – जैसे भगवान राम और माँ दुर्गा ने मुश्किल जंग में सब्र और हिम्मत से जीत हासिल की, वैसे ही बच्चों को भी चुनौतियों का सामना हौसले से करना चाहिए।
✨ टीमवर्क और तआवुन – राम अकेले नहीं जीते, उन्हें हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव और पूरी वानर सेना का साथ मिला। ये बच्चों के लिए पैग़ाम है कि एकता और सहयोग से बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल होती है।
✨ ख़ुद पर फ़तह – असली दशहरा तब है जब हम अपने अंदर की नकारात्मकताओं—ग़ुस्सा, आलस, जलन—पर जीत पा लें।
संस्थान में दशहरे का आयोजन
National Genius Institute of Technology, Prayagraj का कैंपस इस साल दशहरे पर रंगों, उमंग और इल्म का संगम बन गया।
🌸 रामलीला नाटक – बच्चों ने रामायण के वाक़िआत पर आधारित ड्रामा किया। राम-रावण जंग का सीन देखकर सभी दंग रह गए।
🌸 सांस्कृतिक प्रोग्राम – भक्ति गीतों, नृत्यों और कविताओं ने माहौल को रूहानी और जश्न से भर दिया।
🌸 कला प्रदर्शनी – बच्चों ने रावण के मुखौटे, पोस्टर और पेंटिंग्स बनाई, जिनमें उनकी तख़्लीक़ी सोच झलक रही थी।
🌸 भाषण और बहस – सीनियर बच्चों ने आज के दौर में दशहरे की अहमियत पर रोशनी डाली।
🌸 Message Wall Activity – एक बोर्ड लगाया गया, जिस पर बच्चों ने लिखा—“एक बुराई जिसे मैं खुद से हटाऊँगा।” किसी ने लिखा आलस, किसी ने लिखा ग़ुस्सा, तो किसी ने मोबाइल की लत।
ख़ास पहलू
इस साल के आयोजन में सबसे अनोखी बात थी “विद्यार्थियों की प्रतिज्ञा”। हर बच्चे ने ये वादा किया कि वे अपनी पढ़ाई और ज़िंदगी में एक बुरी आदत छोड़ देंगे। ये अमली क़दम था जिसने तहवार को और ज़्यादा मायनेदार बना दिया।
Punch Line संस्थान की ओर से
🌟 “National Genius Institute of Technology, Prayagraj में हम सिर्फ़ तहवार नहीं मनाते, हम असल ज़िंदगी के सबक़ सीखते हैं।” 🌟
गहरा संदेश विद्यार्थियों के लिए
आज के ज़माने में बच्चों के “रावण” हैं—किताबों से दूरी, मोबाइल का बे-जाए इस्तमाल, टाल-मटोल, निगेटिव सोच और खुद पर यक़ीन की कमी। दशहरे का असली पैग़ाम है कि अगर हम इन अंदरूनी रावणों को हरा दें तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं।
संदेश विद्यार्थियों के नाम
प्यारे विद्यार्थियों,
दशहरा हमें याद दिलाता है कि हर मुश्किल एक मौक़ा है। जैसे श्रीराम ने रावण को हराया, वैसे ही आप भी सब्र, हिम्मत और सच के रास्ते पर चलकर अपनी चुनौतियों पर फ़तह पा सकते हैं।
🌱 “तुम्हारा किरदार तुम्हारी सबसे बड़ी ताक़त है, और तुम्हारा सच तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार।” 🌱
शिक्षकों की तरफ़ से
उस्तादों ने कहा कि बच्चों को सिर्फ़ किताबें पढ़कर कामयाब नहीं होना है, बल्कि ज़िंदगी में सदाचार, विनम्रता और अनुशासन भी अपनाना है। यही दशहरे का असल पैग़ाम है।
निष्कर्ष
National Genius Institute of Technology, Prayagraj का दशहरा जश्न सिर्फ़ एक प्रोग्राम नहीं था, बल्कि बच्चों के लिए ज़िंदगी का सबक़ था।
🌟 “रावण बाहर का नहीं, अंदर का है। अगर हम अंदर के रावण को हरा दें तो पूरी दुनिया रोशन हो जाएगी।” 🌟